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कंप्यूटर ज्योतिष एवं कुंडली का कैंसर है .

वेद विज्ञान
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संगणक संयंत्र (कंप्यूटर) ज्योतिष जैसे महान विज्ञान को दूषित नहीं बल्कि प्रदूषित करने का प्रबल एवं खूंखार आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण है. लेकिन यह कहना गलत होगा. क्योंकि कंप्यूटर में जो सूचना भरी जायेगी वह उसी का तो उत्तर देगा. यह दोष उदर भरण पोषण में रात दिन ऱत उन तथा- कथित पाखंडी ठग मुझ जैसे पंडितो का है जिन्होंने अपने अपूर्ण एवं क्षुद्र ज्योतिषीय ज्ञान के जहरीले कचरे को इस उपकरण में भर दिया है.
आज कंप्यूटर से जन्म कुंडली बनने एवं उसके आधार पर लोगो के भविष्य कथन की परम्परा बहुत ही भयंकर रूप से चल पडी है. सेकेंडो में किसी भी व्यक्ति की कुंडली बन कर तैयार हो जाती है. तथा जीवन भर की भविष्य वाणी प्रस्तुत कर दी जाती है.
कंप्यूटर में जो विवरण (Data) भरा रहता है वह उसी के आधार पर उसका वर्णन प्रस्तुत करता है. वह स्वंतत्र रूप से कुछ भी नहीं सोचता है. जब कि कुंडली गणना की प्रक्रिया एक अति जटिल, श्रमसाध्य, सूक्ष्म एवं प्रकृष्ट विवेक के साथ की गयी गहन गवेषणा है. यदि आप ने अपना जन्म समय , जन्म स्थान एवं जन्म दिनांक कंप्यूटर में भर दिया तो उस समय का पूरा विवरण वह दे देगा. यही नहीं, आप कभी आजमायें, डेढ़ से दो घंटे के बीच में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति का जन्म लग्न (Ascendant) कंप्यूटर समान एवं एक ही बताएगा. उन सबकी राशि, नक्षत्र सब एक ही बताएगा. क्योंकी उसमें ऐसा ही विवरण भरा गया है.
जब कि एक ज्योतिषी इस पर गहन मंथन करता है. उदाहरण के लिए जैसे आप ने किसी पंडित को बताया कि आप का जन्म 08 .30 am पर हुआ है. एक पंडित उस समय की एक अस्थायी कुंडली बनाएगा. फिर उससे मिलाएगा कि आप की रूप रेखा, व्यवसाय, नौकरी, रंग एवं सामाजिक स्थिति उस कुंडली से मेल खाती है या नहीं. यदि उस कुंडली में फल निकलता है कि आप वकील है. किन्तु वास्तव में आप अध्यापक है. तो उस कुंडली से क्या फ़ायदा?
इसके पीछे कारण यह है कि जन्म के विषय में ज्योतिष शास्त्र में तीन प्रकार कहा गया है.
“उत्तमं जल स्रावे तु मध्यमं शीर्ष दर्शने.
कनिष्ठे तु पतनम स्यात त्रिविधा जन्म लक्षणम .”
अर्थात सही एवं एकदम ठीक जन्म का समय वही है जब माँ के गर्भ से जल बहना शुरू हो जाय. यदि गर्भ से बाहर बच्चे के शरीर का कोई अँग दिखाई देने लगे और वह समय लिया जाता है तो वह उचित नहीं होगा. किन्तु जब बच्चे का पूरा शरीर गर्भ से बाहर आ जाय और वह समय नोट किया जाय तो वह तो बिल्कुल गलत होगा.
कारण यह है कि जब तक बच्चा गर्भ में रहता है तब तक नालदंड (Placenta) में भरा धूसर द्रव्य (Grey Matter) उस गर्भस्थ शिशु के शरीर पर बाहरी किसी भी किरण अथवा विकिरण का प्रभाव नहीं पड़ने देता है. किन्तु एक बार गर्भाशय (Uterus) का मुंह खुल जाय. नालदंड (Placenta) से पानी (Grey Matter) बाहर बहने लगे तो बच्चे का जन्म हो जाता है. भले किसी गर्भाशय की विकृति (Complication) की वजह से बच्चा एक या दो घंटे बाद पैदा हो या शल्य क्रिया (Surgery) से गर्भाशय चीर कर उसे निकाला जाय. किन्तु जन्म का समय पानी बहना शुरू होने वाला समय ही है. अब आप खुद ही सोचिये कि कंप्यूटर यह क्यों सोचेगा कि बच्चे के जन्म समय में थोड़ा आगे पीछे कर लिया जाय.
यह पंडित का परम नैतिक कर्त्तव्य है कि पहले अस्थायी कई कुंडली कुछ मिनट या घंटे के आगे पीछे का बना ले. फिर उससे बच्चे या उसके माँ बाप के रूप रंग, व्यवसाय, एवं प्रकृति की तुलना करे. जिस कुंडली से सारे लक्षण मिलने लगे वही जन्म समय सही होगा. एवं उसी के आधार पर आगे की भविष्य वाणी करे.
किन्तु परम उच्च विज्ञान ज्योतिष की कठिन एवं श्रम साध्य गणितीय प्रक्रिया से भय भीत आज का पंडित समाज सर्वथा ही कंप्यूटर का आश्रित हो गया है. परिणाम यह हो रहा है कि कुंडली की सारी भविष्य वाणी गलत हो रही है. एवं लोगो का विश्वास ज्योतिष से उठता जा रहा है. तथा पंडित लोग ठग. पाखंडी, आडम्बरी एवं भिखारी जैसे संबोधन से विभूषित हो रहे है.

By-

Pundit R. K. Rai

M.Sc. (Biochemistry)

M.A. (Vedic Astrology)

Former Interviewer- NCAER (A Home Ministry Enterprises)

Tele- 0532-2500272, Mobile- 9889649352

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