वेद विज्ञान
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पौराणिक मतानुसार विवाह के लिए यह आवश्यक है कि वर एवं कन्या के जीवन के प्रत्येक पहलू का एक दूसरे से सामंजस्य की स्थिति का वर्गीकरण कर लें. इसके लिए शास्त्रीय मतानुसार आठ वर्ग बनाए गए है. इन आठो में वर एवं कन्या के आचार, विचार, दिनचर्या, स्वास्थ्य, व्यवसाय, सम्मान, संपदा एवं संतान की तुलना की जाती है. यह एक विशुद्ध वैज्ञानिक अध्ययन है. जिसमें कही भी संदेह की गुन्जाईस नहीं है. जैसे हम आठ वर्गों में उदाहरण के लिए “नाडी” को लेते है. ज्योतिष में नाडी के लिए 8 अंक निर्धारित है. नाडी अर्थात जनन वाहिनी (Genital Duct ) . यह शुक्राणु वाहिका जहां पर वीर्य या (Semen) रहता है. यदि व्युत्रकमानुपाती (Retro gated) हुई तो वंश वृद्धि रुक जायेगी. कारण यह है कि शुक्राणु तीन तरह के होते है. जिन्हें चिकित्सा विज्ञान में :X” ए
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