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विचित्र किन्तु सत्य- कंप्यूटर कुंडली का कमाल

वेद विज्ञान
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यद्यपि कम्प्यूटरीकृत कुंडली की सच्चाई बयान करने पर इसे व्यवसाय बना चुके तथाकथित पंडितो का मुझे घोर प्रति रोध सहना पडा है. क्यों कि झटपट कुंडली कंप्यूटर से बना कर चटपट पैसा बनाने की प्रक्रिया को थोड़ा ठेस पहुंचा है. किन्तु सच्चाई तो सच्चाई है. दूसरे मै एक केंद्रीय वेतन भोगी सरकारी कर्मचारी हूँ. मुझे कुंडली एवं दक्षिणा के सहारे जीवन वृत्तिका नहीं चलानी है. इस लिए चाहे मुझे कोई कुछ भी कहे, मेरी काया पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. हाँ, यदि इससे श्रद्धालु भोली भाली जनता को लाभ पहुंचता है तो मुझे किसी के कहने सुनने की कोई चिंता या परवाह नहीं है.
अब ज़रा कम्पुटर की कुंडली का कमाल देखिये. बिल गेट्स दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति रहे है. उनका जन्म अमेरिका के वाशिंगटन शहर के सिएटल नामक स्थान पर 28 अक्टूबर 1955 को स्थानीय समयानुसार रात के 8 बज कर 58 मिनट पर हुआ था. अब इस विवरण को ज़रा कंप्यूटर में कुंडली के साफ्ट वेयर में डाल कर देखिये. लग्न मिथुन आयेगा. लग्न भाव का स्वामी बुध यद्यपि स्वगृही है, किन्तु छठे रोग भाव के स्वामी मंगल से युक्त है. अर्ध काल सर्प योग है. केम द्रुम नामक अति भयंकर अशुभ योग बना हुआ है. पांचवें भाव में तृतियेश एवं अष्टमेश का योग बन रहा है. लाभ भाव पर शनि एवं मंगल दोनों की दृष्टि है. धन भाव पर भी अशुभ आठवें भाव के स्वामी शनि की पूर्ण दृष्टि है. यश एवं कीर्ति भाव पर मंगल की दृष्टि है. शनि एवं मंगल दोनों ही अग्निकारक ग्रह स्वभाव से ही है. जिस भाव को भी देखेगें उस भाव को जला देगें. अब आप खुद ही सोचिये कि विश्व प्रसिद्ध यश, कीर्ति एवं धन संपदा युक्त व्यक्ति की कुंडली ऐसी हो सकती है क्या? ऐसे कुंडली वाला व्यक्ति तो दुखी, पागल एवं लूटेरा ही हो सकता है, जैसा कि भृगु सूत्रम एवं वृद्ध यवन जातकम में विश्लेषण दिया गया है.
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान में पेशावर में 11 दिसंबर 1922 में दोपहर 11 बज कर 55 मिनट पर हुआ था. कंप्यूटर की कुंडली में लग्न मकर बताएगा. अर्द्ध काल सर्प योग होगा. शनि भाग्य भाव में राहू से युक्त है. अर्थात दोनों प्रचंड पापी ग्रह भाग्य भाव में बैठे है. तथा उस पर मंगल की सीधी दृष्टि पड़ रही है. चन्द्रमा आठवें भाव में मंगल से दृष्ट है. संतान, विद्या, यश, कीर्ति, एवं प्रसिद्धि भाव का स्वामी शुक्र जन्म से ही टेढा अर्थात वक्री है. तथा अशुभ राशि वृश्चिक में सूर्य के साथ बैठा है. आप स्वयं ही सोचिये कि ऐसा व्यक्ति तो परम अभागा, दरिद्र, दुखी एवं अपयशी ही होगा. क्या यह कुंडली दिलीप कुमार की हो सकती है?
लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1858 को प्रातः 6 बज कर 55 मिनट पर हुआ था. कंप्यूटर की कुंडली लग्न की राशि मिथुन बतायेगी. लग्न में शनि, पांचवें मंगल, दशवें राहू एवं सुख भाव में केतु है. न धन न विद्या न यश बल्कि इसके विपरीत समाज से बहिष्कृत, अपराधी, बिना लोक लाज के टेढ़े मेढ़े शरीर वाला ऐसा व्यक्ति होना चाहिए, क्या स्वंत्र भारत के मूल स्तम्भ आज़ादी की लड़ाई के संबल स्वरूप परम देश भक्त प्रात स्मरणीय श्री तिलक जी की कुंडली यह हो सकती है?
कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी का जन्म इटली के तुरीन नामक स्थान पर स्थानीय समयानुसार रात के 9 बज कर 30 मिनट पर हुआ था. कंप्यूटर कुंडली के अनुसार इनका जन्म लग्न कर्क आता है. अब ज़रा देखिये लग्न में शत्रु क्षेत्री शनि जो परम अशुभ भाव अष्टम का स्वामी है, तथा वक्री होकर और भी ज्यादा उत्कट प्रभाव वाला हो गया है, बैठा है. यश, कीर्ति, सुख, विद्या, राजकीय सम्मान भाव का स्वामी मंगल अशुभ छठे भाव में अस्त होकर बैठा है. लग्न भाव का स्वामी चन्द्रमा अशुभ वेशि से ग्रस्त होकर अशुभ बारहवें भाव में बैठा है. कुंडली मांगलिक भी नहीं है. और न ही पति भाव का स्वामी अशुभ भाव में बैठा है. बल्कि शुभ लग्न में बैठा है. पति भाव में भी कोई अशुभ ग्रह नहीं बैठा है. फिर भी इन्हें वैधब्य जीवन बिताना पड़ रहा है. संतान भाव में सूर्य बैठ कर कम से कम एक जीवित पुत्र का सुख दे रहा है. और यह सब सोनिया गाँधी के साथ उलटा हो रहा है. जबकि इनकी कंप्यूटर कुंडली के अनुसार इन्हें दर दर का भिखारी, अपयशी, एवं सधवा होना चाहिए था.
लेकिन कंप्यूटर का क्या दोष? जहर का तो काम ही है मारना. दोष तो ज़हर पीने एवं पिलाने वालो का है.
अब इन कंप्यूटर ज्योतिषियों के पास दो ही रास्ते है. या तो ये लोग प्राचीन वैदिक गणित एवं फलित ज्योतिष के सिद्धांतो को मानें या फिर आलस्य में आकंठ डूबे, श्रम से घबराये आराम पसंद. जन साधारण को धोखा देने वाले तथा ज्योतिष के मूल भूत सिद्धांतो से सर्वथा अपरिचित झूठा सच्चा कुछ भी फल बता कर पैसा ऐंठने वाले इस कंप्यूटर देव की पूजा उपासना कर अपना व्यवसाय चमकाएं.
वैसे भी संत शिरोमणि राम भक्त गोस्वामी तुलसी दास के द्वारा आशुतोष भगवान शिव शंकर की वाणी जो उन्होंने जगत जननी माता पार्वती को सुनायी थी, वह वर्णित राम चरित की गाथा असत्य कैसे हो सकती है?
“नारी मुई गृह सम्पति नासी. मूंड मुंडाय भये सन्यासी.
तें विप्रन तें पाँव पूजावें. उभय लोक निज हाथ नसावें.
————————–बैठि कुशासन लेहि कुदाना.
————————- पंडित सोई जो गाल बजावा.
जाके नख अरु जटा विशाला. सो तापस कराल कलि काला. ”
आदि आदि (राम चरित मानस से उधृत)
द्वारा-
पंडित आर. के. राय
प्रयाग
9889649352

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