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अमावस का भविष्य फल

वेद विज्ञान
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मौनी माघ अमावश्या के सकुशल समापन पर अपने प्रेमियों एवं आदरणीय पाठक समुदाय को ढेर सारी शुभ कामनाएं.
मै अपने पुराने लेखन विषय को छोड़ कर बीच में ही यह लेख आप तक पहुंचाना पड़ रहा है. जैसा कि आप को पता है, मै केवल ज्योतिषीय लेख ही लिखता हूँ. इसलिये अंतरिक्ष में कुछ अति विचित्र चीजो का दर्शन हुआ है. जिसे मै आप तक पहुंचाना चाहता हूँ.
सोमवार चन्द्रमा का दिन होता है. तथा अमावस के दिन चन्द्रमा क़ी किरणे धरती पर पड़ने नहीं पाती है. इस प्रकार एक तों अमावस उसमें भी सोमवार अर्थात चन्द्रमा का खुद का दिन, इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है.
धरती के उत्तरी भाग में शुक्र का हस्तक्षेप हो गया है. धरती के पूर्वी भाग में केतु एवं मंगल मार्गी एवं वक्री चाल से उत्पात खडा कर रहे है. धरती के पश्चिमी भाग में शनि एवं राहू क़ी स्थिति है. सोमवार को बिल्कुल भोर में जब सूर्य एवं चन्द्रमा दोनों ही पाप राशि मकर में थे. पृथ्वी के पार्श्व भाग में गुरु का ऊपरी  हिस्सा कालिमा लिये हुए था. इसके अलावा चन्द्रमा पूरी तरह पाप राशि गत एवं अस्त था. जो सबसे विचित्र बात थी वह यह कि गुरु, बुध एवं शुक्र इन तीनो ग्रहों का धरती से एक तरह से विक्षोभ हो चुका था. पांचो केतु आकाश में स्पष्ट दिखाई दे रहे थे. इसके अलावा विराट केतु धरती के मध्य विन्दु से उत्तर क़ी तरफ लगभग समकोण बना रहा था.
अभी इसे हम इस प्रकार देखते है. इस अमावश्या को गुरु शनि 180 अंश अर्थात परस्पर सीधी रेखा पर स्थित है.मंगल एवं शुक्र परस्पर सीधी रेखा अर्थात 180  अंश पर स्थित है. पांचो केतु एक दूसरे से लगभग 70 अंश का कोण बनाए हुए है. इस प्रकार प्रत्येक ग्रह ही एक दूसरे के विपरीत संचरण कर रहा है. पृथ्वी के सापेक्ष अंतरिक्ष का कल्पित मध्य भाग एक तरफ ग्रह शून्य है. तों दूसरी तरफ शुभ स्थान पाप ग्रस्त है.
इसका फल निम्न प्रकार है. शनि उच्च राशि में अपने मित्र राहू के पीछे है. शनि आगे बढ़ रहा है. तथा राहू पीछे खिसक रहा है. अतः धरती का पश्चिमी भाग में षडयंत्र एवं भीषण उठा पटक होगी. किन्तु फिर भी उस अनुपात में आर्थिक नुकसान न के बराबर होगा. जब कि एशिया महाद्वीप इन पश्चिमी देशो के कुचक्र का शिकार होगा. इन देशो में भयंकर आर्थिक नुकसान तों होगा ही, एक भीषण नर संहार भी होगा. जो इतिहास के पन्नो को लाल कर देगा.
यद्यपि आधुनिक विज्ञान के पास अति आधुनिक उपकरण उपलब्ध है. किन्तु पता नहीं क्यों धरती के बिल्कुल पास घूमते इस भयानक विकिरण एवं ज़हरीले वायु संक्रमण क़ी तरफ से मुँह मोड़े हुए है. किन्तु इसमें सरकार क़ी क्या गलती? वह तों भूकंप गुजरने के बाद इसकी तीव्रता मापने भर क़ी ज़िम्मेदार है. वास्तव में धरती के तीन तरफ ज्यादा मात्रा में आर्सेनिक के समान विषाक्त तत्त्व से भरे डिक्लीरैलीडीन एमिनो फास्फायिड का सात अंगुल मोटी परत बन गयी है. तथा इस परत से टकराकर सूर्य क़ी परा वैगनी किरणें एवं शनि क़ी पोटेशियम हाईड्रोसिंथेमायिड युक्त किरणें न्यूजीलैंड के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से क़ी तरफ से हिंद महासागर होते हुए श्रीलंका के ऊपर से जकार्ता के मध्य भाग एवं अफ्रिका के बीचोबीच से दक्षिणी एवं उत्तरी अमेरिका के मध्य से होकर महज़ ढाई कोश ऊपर गुजर रही है. इस गुजरने वाली रेखा से समकोण पर स्थित प्रदेश तों बहुत ही अल्प मात्रा में प्रभावित होगें किन्तु इससे दोनों तरफ 30 से 60 अंश के अवनत कोण पर आधारित भूखंड बुरी तरह से प्रभावित होगें.
प्रत्येक देश का तों नाम दे पाना बहुत कठिन है. किन्तु कुछ एक प्रांत निम्न प्रकार है.- वेलिन्ग्टन, हेस्टिंग्स, नेपिअर, माउन्ट कूक, सिडनी, वियतनाम, भारत का आसाम, उडीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक का उत्तरी हिस्सा, महाराष्ट्र का कोंकण प्रदेश, कम्बोडिया, मलेसिया युक्त समस्त दक्षिण पूर्व एशिया, सीरिया, लेबनान, इराक, समेत समस्त मध्य पूर्व एशिया, सोमालिया, युथोपिया, युगांडा, केमरून एवं घाना समेत मध्य अफ्रिका, बरमुडा, बहामास समेत उत्तरी अमेरिका का दक्षिणी हिस्सा आदि.
राशियों के हिसाब से मिथुन, वृश्चिक एवं वृषभ राशि तथा मकर राशि पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पडेगा. इसमें वृषभ राशि सबसे ज्यादा बुरी तरह प्रभावित होगी.
मै स्वयं वृषभ राशि के अंतर्गत आता हूँ. वृषभ राशि के अंतिम चरण में जन्म लेने वालो को भयंकर आर्थिक नुकसान एवं सामाजिक प्रतिष्ठा क़ी हानि होगी. यहाँ तक कि बहुत घोर कष्ट से गुजरना पड़ सकता है. जेल भी जाना पड़ सकता है. मै स्वयं वृषभ राशि के अंत में जन्म लिया हूँ. मेरे साथ भी यह दुर्घटना होने वाली है.
ठीक इसी तरह वृश्चिक राशि के मध्य में जन्म लेने वाले थोड़ा विशेष चौकन्ने रहे. उनके साथ भी विशेष अप्रिय घटना घटित होगी.
वैसे तों प्रत्येक राशि वालो को थोड़ा ज्यादा इसका प्रभाव झेलना पडेगा. वैसे वृष, मिथुन, वृश्चिक एवं मकर राशि वाले ज्यादा प्रभावित होगें. इसे निम्न प्रकार देखें-
मेष- अंतिम दो चरण, वृषभ– अंतिम दो चरण, मिथुन– प्रथम दो चरण, कर्क- मात्र प्रथम चरण, सिंह– मात्र प्रथम दो चरण, कन्या– अंतिम तीन चरण, तुला प्रथम एक चरण, वृश्चिक– प्रथम तीन चरण, धनु– प्रथम दो चरण, मकर– प्रथम तीन चरण, कुम्भ– मध्य दो चरण, मीन– मध्य दो चरण
इस तरह जिसका जन्म हुआ होगा उसे इस अमावश्या का फल मिलेगा.
वृषभ राशि वालो को कोर्ट कचहरी तथा रुपये पैसे का बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है. मेष राशि वालो को संतान क़ी तरफ से कष्ट मिलेगा. मिथुन राशि वालो को भी संतान संबंधी पीड़ा मिलेगी. कर्क राशि वालो को क्लिष्ट रोग से गुजरना पडेगा. सिंह राशि वाले चोट चपेट अथवा दुर्घटना के शिकार होगें. कन्या राशि वाले बेईज्ज़ती एवं कठोर रोग के शिकार होगें. तुला राशि वाले धोखा अथवा षडयंत्र के कारण कष्ट उठायेगें. वृश्चिक राशि वाले चोट, दुर्घटना, रोग, सम्पदा एवं संतान ह़र तरफ से नुकसान उठायेगें, धनु राशि वाले रोग एवं संतान संबंधी कष्ट उठायेगें. मकर राशि वाले अनेक तरह से कष्ट उठायेगें, कुम्भ राशि वाले किसी भी काम में सफलता नहीं पायेगें एवं मीन राशि वाले धन एवं स्वास्थ्य संबंधी पीड़ा उठायेगें.
इन सबका फल 9 मार्च के पहले ही मिल जाएगा. किन्तु धनु, मकर एवं कुम्भ राशि वालो को इसका परिणाम 19 अगस्त तक मिलेगा.
क्षितितनयपतंगौ राशी पूर्व त्रिभागे सुरपतिगुरुशुक्रौ राशिमध्य त्रिभागे. तुहिनकिरणमन्दूराशि पाश्चात्यभागे शशितनयभुजन्गौ पाकदौ सार्वकालम.
अर्थात जब ग्रह के दिन प्रतिदिन चाल से कोई प्रभाव उत्पन्न होता है तों वह इस प्रकार होता है-
सूर्य एवं मंगल किसी भी राशि में प्रवेश करते ही अपना फल दिखाते है.
वृहस्पति एवं शुक्र राशि के मध्य भाग में आने पर अपना प्रभाव प्रकट करते है.
चन्द्रमा एवं शनि राशि के अंतिम भाग में पहुँचने पर अपना प्रभाव देते है.
बुध एवं राहू राशि में प्रवेश से लेकर राशि के अंत तक अपना प्रभाव देते रहते है.
दशापहाराष्टक वर्गगोचरे ग्रहेषु न्रीणाम विषमस्थितेष्वपि. जपेच्च तत्प्रीति करै: सुकर्मभिः करोति शांतिम व्रतदान वंदनै:.
अर्थात यदि गोचर वश ग्रहों से पीड़ा एवं कष्ट उठाना पड़ रहा हो तों राशि के अनुपात में ग्रह से सम्बंधित यंत्र, मन्त्र या तंत्र का अनुष्ठान करने से शान्ति प्राप्त होती है.
अहिन्सकस्य दान्तस्य धर्मार्जित धनस्य च. सर्वदा नियमास्थस्य सदा सानुग्रहा ग्रहः.
अर्थात जो व्यक्ति किसी क़ी हिंसा नहीं चाहता, संयमी होता है, तथा धर्म मार्ग से धनोपार्जन करता है और सर्वदा शास्त्रोंपदिष्ट मार्ग एवं नियम का पालन करता है उस पर ग्रह सदैव ही कृपा कर उसे सुख शान्ति देते है.
सहायक ग्रन्थ- फल दीपिका, सूर्य सिद्धांत, ग्रह लाघव, वृहद् पाणिनीयम, वृहत्संहिता  आदि.
पण्डित आर. के. राय
प्रयाग

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