दुर्गा पूजा कभी भी करें—नवरात्र का महत्त्व विशेष कारणों से है।
वेद विज्ञान
497 Posts
662 Comments
दुर्गा पूजा कभी भी करें—नवरात्र का महत्त्व विशेष कारणों से है।
जगज्जननी माता दुर्गा की पूजा कभी भी की जा सकती है। पूजा के लिए प्रत्येक दिन प्रशस्त है। किन्तु नवरात्र की पूजा एक अति उत्कृष्ट, विशेष एवं महत्व पूर्ण स्थान रखती है।
नवरात्र के पहले दिन माता पृथ्वी दिव्यत्व प्राप्त आत्माओं (पितरों) को संतुष्ट कर विश्व के समक्ष देवियों (शक्तियों) को प्रकट करती है। तथा नौ दिनों में क्रमशः नौ ग्रहों के अशुभ प्रभाव को समाप्त कर नौ निधियों के प्राप्ति का मार्ग सुलभ एवं सुगम करती है।
ये नौ दिन बड़े ही उत्कट प्रभाव देने वाले होते है। समस्त ग्रहों के समक्ष एकाएक धरती का एक विशिष्ट भाग प्रकट होता है। और इसीलिए इन नौ दिनों में की गयी साधना अमोघ एवं अचूक फल देने वाली हो जाती है।
जैसा की मैं पहले ही बता चुका हूँ। की माता जी की पूजा तो किसी भी दिन करें, किन्तु इस नवरात्र के दौरान इसकी अनुकूलता का अलग लाभ उठायें।
इस नवरात्र के अंतराल में मन्त्र एवं यंत्र की सिद्धि का बहुत माहात्म्य बताया गया है–
अर्थात शारदीय नवरात्र के अंतराल में सिद्ध किये गए यंत्र एवं मन्त्र हे नारद ! सर्व कामनाओं को पूरा करने वाले होते है। किन्तु यह तो एक सामान्य बात हो गयी। “ज्योत्षना शाकम्भरी” में यह स्पष्ट किया गया है की जिनका जन्म अनुराधा, मघा, अश्विनी, चित्रा, तीनो पूर्वा एवं तीनो उत्तरा में हुआ हो उनको पूजा का फल तो मिल सकता है, किन्तु यंत्र-मन्त्र सिद्ध नहीं हो सकते। इसी बात का संक्षेप एवं विस्तार से कई ग्रंथो में विवरण मिलता है।
खैर जो भी हो, मैं सब श्रद्धालुओं से यही अपेक्षा करूंगा की इस परम पावन एवं देव दुर्लभ नवरात्र का भरपूर लाभ उठायें। तथा शाकम्भरी, कात्यायनी, शाबर, डामर, भैरव, लुब्धक, कंटक एवं दुर्गा यंत्र तथा माहेश्वरी, विपाशा, अरुंधती, कीलक, कवच आदि मंत्रो की सिद्धि का अवश्य प्रयत्न करें।
यंत्र की सिद्धि के पूर्व यह अवश्य सुनिश्चित कर लें की वह शुद्ध बना हो, आप की जन्म नक्षत्र के भुक्त अंशो के परिमाण का हो, तथा छह माह से ज्यादा पुराना बना न हो।
मंत्रो के बारे में यह सुनिश्चित कर लें कि आप उसका सस्वर शुद्ध उच्चारण कर लेगें। जिस मन्त्र के सस्वर एवं शुद्ध उच्चारण के प्रति आप आश्वस्त हो, उन्हें ही सिद्ध करें। अन्यथा आप का धन, समय एवं प्रयत्न सब विफल होगा। उदाहरण के लिए स्वरों (अ, आ से लेकर औ तक के वर्ण) के ऊपर आने वाली बिंदियों का उच्चारण “म” नहीं बल्कि अँ” के रूप में करें। जैसे ऐं” का उच्चारण “ऐम” के रूप में नहीं बल्कि “न्ग” के रूप में करें।
यदि पहले से कोई सिद्ध यंत्र या अंगूठी आप धारण कर रखें हो तो इस नवरात्र में उसका पुनः जागृतिकरण कर लें।
और सबसे महत्व पूर्ण बात यह कि सामग्री एवं ब्राह्मण की मज़दूरी (दक्षिणा को आज मज़दूरी कहना मज़बूरी है) में कोई कमी न करें। यदि आप को लगता है की इस काम में ज्यादा धन खर्च होगा, तो कृपया यंत्र-मन्त्र की सिद्धि के झमेले में न पड़ें। और दबाव में या किसी लोभ में यह काम न करें। सीधे अपनी इच्छा के अनुरूप पूजा का समापन कर लें।
यदि किसी कारण से इस दौरान यंत्र धारण न कर सकते हो, तो सिरे से इस काम को स्थगित कर दें।
वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य में महंगाई के मद्दे नज़र यंत्रो की सिद्धि अब गरीब लोगो के बस की बात नहीं रह गयी है। उन्हें माता जी की पूजा एवं अराधना से ही संतुष्ट होना चाहिए।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments