पार ब्रह्म परमेश्वर के द्वारा एक नियामक एवं सर्जक के रूप में सृष्टि के समन्वित एवं संतुलित सञ्चालन हेतु निर्धारित सिद्धांतो पर अपनी पैनी एवं समग्र दृष्टि डालने वाला वेद-नेत्र स्वरुप ज्योतिष एक परम, पूर्ण एवं सुव्यवस्थित विज्ञान है। इसमें किञ्चित्मात्र भी विचलन, संशोधन या परिवर्तन के लिये कोई स्थान नहीं है। केवल हम जैसे अपूर्ण, अशुद्ध एवं पापपूर्ण ज्योतिषीय ज्ञान वाले इसे कलंकित, तिरस्कृत एवं अविश्वसनीय बना दिये हैं। हम यह भी नहीं देखते कि हमारे इस कुकृत्य का दूरगामी परिणाम क्या होने वाला है। और अभी ही इसकी स्थिति क्या रह गई है। अपनी तुच्छ स्वार्थ सिद्धि के लिये तथा अल्पकालिक सुख-समृद्धि के लोभ में इस देव-नेत्र स्वरुप परम ब्रह्मविज्ञान के ऊपर अपने कुकृत्य के पापपूर्ण आवरण डालते चले जा रहे हैं।
गाँव, देहात या शहर में पंडितजी लोग जन्म कुंडली बनाने के लिये पंचांगों का सहारा लेते हैं। इन्ही पंडितो के द्वारा ज्योतिष का सैद्धांतिक विवरण प्राप्त कर आज के संगणक तज्ञ (Software Engineer) कुंडली के विविध सूक्ष्म यांत्रिक सूत्रों (Kundli Software) का विनियोजन (Launching) करते हैं। तथा इस प्रकार पंडितजी लोग हाथ से लिखकर कुंडली बनाते है। तथा कम्प्यूटर से भी कुंडली क्षण भर में तैयार कर निकाल दी जाती है। अब आप इसका कमाल देखें-
नवलगढ़ निवासी पंडित ईश्वर दत्त शर्मा के द्वारा संपादित तथा श्री वेंकटेश्वर प्रेस बम्बई प्रकाशन द्वारा प्रकाशित श्री वेंकटेश्वर शताब्दि पंचांगम में आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि का क्षय या हानि दिखाई गई है। अर्थात तृतीया और चतुर्थी दोनों तिथियाँ एक ही दिन गुरूवार तारीख 7 जून 2012 को ही हो जा रही है। जब कि वाराणसी का अति प्रसिद्ध हृषीकेश पञ्चांग में लिखा है कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष में किसी भी तिथि की हानि नहीं हो रही है।
इस प्रकार वेंकटेश्वर पञ्चांग के अनुसार 8 जून 2012 को प्रातः काल जन्म लेने वाला (1 )- पञ्चमी तिथि में माना जाएगा। (2 )- नक्षत्र उसका श्रवण होगा।जबकि काशी के हृषीकेश पञ्चांग के अनुसार 8 जून 2012 शुक्रवार को जन्म लेने वाले का जन्म (1)- चतुर्थी तिथि में माना जायेगा। (2)- जन्म नक्षत्र उत्तराषाढा होगी।
इस प्रकार एक ही दिन-समय-स्थान पर जन्म लेने वाले व्यक्ति की कुंडली दो नक्षत्रो एवं तिथियों की होगी।
अब बात आती है कम्प्यूटर कुंडली की। कम्प्यूटर में आज कल पाराशर लाईट नामक साफ्टवेयर का प्रचलन जोरो पर है। वैसे दुर्लभ आदि के भी साफ्ट वेयर भी प्रयोग में लाये जा रहे है। अब इस कम्प्यूटर कुंडली को इस परिप्रेक्ष्य में देखें-
9 जून 2012 ( 8/9 जून की मध्य रात्रि) को मानक समयानुसार किसी का जन्म 2 बजकर 32 मिनट पर होता है। पाराशर लाईट बताता है की जन्म धनिष्ठा नक्षत्र एवं पञ्चमी तिथि में हुआ है। हृषीकेश पञ्चांग बताता है कि जन्म श्रवण नक्षत्र एवं पञ्चमी तिथि में हुआ। वेंकटेश्वर पञ्चांग बताता है कि जन्म षष्ठी तिथि एवं श्रवण नक्षत्र में हुआ।
अब आप बतायें किस कुंडली को सही मानेगें तथा उस के आधार पर अपना भविष्य फल जानना चाहेगें। इसे आप प्रत्यक्ष देख सकते हैं।
यह क्यों है?
यह ज्योतिषी के नाम पर पाखण्ड करने वाले, श्रम से जी चुराने वाले, पूर्णतया आधुनिक अपूर्ण विज्ञान की शरण में गिरे हुए, आधे अधूरे ज्ञान रखने वाले, त्रिस्कन्ध ज्योतिष के मूलभूत, गूढ़ एवं श्रमसाध्य सिद्धांतो से घबराने वाले ज्योतिषाचार्यों के कुकृत्य का परिणाम है। ये लोग स्वयं चरपल, भुज, कोटि, अयनाश साधन, प्रकल्पित एवं प्रत्यक्ष क्षैतिज लग्न आदि में विभेद, भाव, ग्रह, नक्षत्र तथा दशा (संध्या दशा, पाचक दशा, छाया दशा, कूटकेतु, योगिनी आदि) के कठिन एवं रहस्यमय गणित क्रिया का या तो साधन करने से घबराते है, या ज्ञान नहीं रखते है या उचित पारिश्रमिक (दक्षिणा) न मिलने के कारण इनका साधन करना नहीं चाहते है।
परिणाम स्वरुप कम्प्युटर या ऐसे ही पञ्चांग की अशुद्धियो को नज़र अंदाज़ कर उसी के आधार पर कुंडली बनाकर रख देते है। ये इनकी सत्यता की परीक्षा करने की ज़हमत नहीं उठाना चाहते। और परिणाम स्वरुप सारा भविष्यफल असत्य हो जाता है।
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