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अशुद्ध हवन सामग्री एवं अनुचित मात्रा सर्वथा त्याज्य

वेद विज्ञान
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अशुद्ध हवन सामग्री एवं अनुचित मात्रा सर्वथा त्याज्य

अनुचित मात्रा में या अशुद्ध सामग्री से समस्त हवन अशुभ हो जाता है. महान प्राचीन गणितज्ञ एवम रसायन शास्त्री भट्टजित ने कहा है कि इससे मष्तिष्क विकृति, लक्ष्मी हानि एवम नपुँसकता उत्पन्न होती है. हवन सामग्री में मिलाये जाने वाले समस्त 33 पदार्थ अपने अपने अनुपात में ही होने चाहिये।सुविधा के लिए इनके नाम निम्न प्रकार है. देवदारु की छाल, लाख, गुड, धुप चूर्ण, जौ, तिल काला, तिल सफ़ेद, तालीस पत्र, चावल, अगर, तगर, गूगल, लोबान, मदन जीरा, कुलुची, हरसिंगार, सप्त धान्य (साठी, धान, सावाँ, कोदो, तान्गुनी, मडुवा, जलहास), दशाङ्ग (कपूर, केशर, सतचंद, अमरश, घी, गंधक, शताद्रिफल या बादाम, जम्भोलक या मखाना, अग्निरस या मेवा तथा अतोष्य या किसी सुगन्धित पुष्प का सत),

ध्यान रहे पर्व, अनुष्ठान्न या संकल्पित कार्य के अनुरूप इन पदार्थो की निर्धारित मात्रा ही प्रयोग में लानी चाहिये। नहीं तो उदाहरण के लिये गूगल से कम मात्रा में तिल होने पर हवन से एक जहरीली गैस (मेथिलिक्सिन सल्फाइड) निकलती है जो क्षय या लकवा उत्पन्न करती है.
पंडित आर के राय
email-khojiduniya@gmail.com

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