पारद शिवलिंग को आज कल एक मजाक बना दिया गया है. जब कि सम्भवतः यत्र तत्र गाँवों में भी लोग इसकी भयंकरता से लगभग परिचित है. विधि पूर्वक निर्धारित अनुपात में कज्जल (Carbon) एवं पारा (Mercury-Hg) के यौगिक से बना शिवलिंग यदि उचित प्रकार से नहीं रखा गया तो कुछ ही समय में इसका उपद्रव उग्र रूप धारण कर लेता है. तथा बाद में पछताना पड़ जाता है.
यदि कुण्डली में दशवाँ एवं पाँचवाँ भाव तथा बुध एवं राहु किसी भी तरह दशमेश या पंचमेश को दूषित न कर रहे हो तो पारद शिवलिंग धारण किया जा सकता है.
पारद शिवलिंग या किसी भी शिवलिंग की आवासीय घर में स्थापना नहीं की जा सकती। इसकी स्थापना घर गाँव से दूर होनी चाहिये। हाँ, घर में रखने के लिये इसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाकर रखा जा सकता है.
किन्तु बहुत पश्चात्ताप का विषय है कि लोग या पंडित सीधे वैदिक मन्त्र “आपो हिष्ठा मयो भूयाद———–” के साथ घरो में इसकी प्राण प्रतिष्ठा के स्थान पर स्थापना ही करा देते है.
पंडितजी को इससे क्या लेना देना?
वर मरे चाहे कन्या, दक्षिणा से मतलब।
पण्डित आर के राय
Email- khojiduniya@gmail.com
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