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शुद्ध एवं पूर्ण कुण्डली

वेद विज्ञान
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शुद्ध एवं पूर्ण कुण्डली
आज कल कम्प्यूटर कुण्डली का प्रचलन है. और विविध प्राचीन ज्योतिषाचार्य ऋषि मुनियो के नाम पर उस “साफ्ट वेयर” का नाम करण कर दिया गया है. उनमें आज कल प्रमुख रूप से महर्षि पाराशर का नाम प्रमुख है. अब मैं प्राथमिक स्तर पर ही होने वाली त्रुटि का उल्लेख कर रहा हूँ.
ज़रा देखें महर्षि पाराशर के लग्न साधन की विधि-
“अथ वक्ष्यामि ते भाव लग्नादीनि द्विजोत्तम।
यज्ज्ञानतः फलादेशे क्षमा होराविदो जनाः।।38
सूर्योदयात पञ्चबाणदलैकघटिकामिताः।
भावहोराघटीलग्नमितयः क्रमशो द्विज।।39 “
(वृहत्पाराशर होराशास्त्रम-ग्रहादिसाधनाध्यायः 4)
अर्थ- हे मैत्रेय! अब मैं भावलग्न आदि साधन बतलाता हूँ. इन भाव लग्न आदि के जानकार होराशास्त्रज्ञ फलादेश में निपुण होते है. सूर्योदय से भावलग्न, होरलग्न, घटीलग्न क्रमशः 5, 2.5 एवं 1 घटी प्रमाण से व्यतीत होते है.
अब आप स्वयं देखें सूर्योदय से प्रत्येक 5 घटी अर्थात 2 घण्टे पर लग्न का व्ययतीत होना स्वयं ऋषि बता रहे है. तो इसमें स्वोदय एवं लंकोदय मान का क्या औचित्य? अब आप स्वयं किसी के जन्म के ईष्ट काल में 5 घटी का गुणा कर के देखें कि क्या कम्प्यूटर कुण्डली वही लग्न बताती है.
आगे-
किसी भी कुण्डली में पाराशर ने प्रत्येक भाग की सारणी का उल्लेख किया है. जैसे- ग्रह महादशा, योगिनी महादशा, संध्या दशा, पाचक दशा (वृहत्पाराशर होराशास्त्र अध्याय 47), कालचक्र महादशा (वृहत्पाराशर होराशास्त्र अध्याय 50), राशि महादशा (अध्याय 51), मण्डूक दशा  एवम शूल दशा (अध्याय 47 श्लोक संख्या 174 से 177 तक) तथा जन्म कालिक स्पष्ट ग्रह सारणी, षटवर्ग सारणी, जन्म कालिक विवरण और मँगल श्लोक। जब तक (कम से कम) ये बारहो विवरण कुण्डली में न हो कुण्डली अपूर्ण होगी तथा उससे फल कहना सदा अशुद्ध होगा।
आप स्वयं देखें, यदि कोई व्यक्ति अपनी आयु के बारे में पूछे और कुण्डली में शूल दशा है ही नहीं। तो किस आधार पर इसका उत्तर दिया जा सकता है. यद्यपि लबार या अनर्गल विवाद के लिये कुछ लोग कह सकते है कि इसके लिये जैमिनी सूत्र है. यदि मैं मान भी लेता हूँ, तो कम से कम कुण्डली में वह भी तो सारणी होनी चाहिये। किन्तु इसके लिये कुण्डली भी जैमिनीय सूत्रो पर आधारित होनी चाहिये। ऐसा नहीं कि नियम पाराशर का और फलित जैमिनी का. कोई एक सिद्धांत होना चाहिये।
यह महर्षि पाराशर का कथन है.
आप देखें कि कम्प्युटर कुण्डली में आप को यह नियम या विवरण मिल पायेगा/
और आप स्वयं देखें कि क्या ‘प्रोग्रामिंग” कम्प्यूटर के साफ्ट वेयर में “फीड” है.
इसका अगला भाग अगले लेख में
पण्डित आर के राय
Email- khojiduniya@gmail.com

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