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विघटन, विवाद या धोखा (निराशा)

वेद विज्ञान
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विघटन, विवाद या धोखा (निराशा)
कोई भी ग्रह कुण्डली में यदि तीसरे घर का स्वामी है. तथा सातवें भाव के स्वामी से किसी भी राशि में भुक्तांशो में कम है. और जन्म के समय चन्द्रमा का उन्नत सिरा त्रिषडायेश को इंगित कर रहा हो, तो सप्तमेश की महादशा में तृतीयेश की अन्तर्दशा या तृतीयेश की महादशा में सप्तमेश की अन्तर्दशा में जीवन साथी से धोखा मिलता है.
यदि षष्ठेश का अंश किसी भी राशि में स्थित दशमेश के भुक्तांशो से कम हो तथा जन्म के समय किसी अन्य ग्रह के सूर्य से युद्ध न करते हुए शुक्र ठीक आगे या पीछे पूर्व में अपने उठे हुए भाग को ऊपर किये हुए अस्त हो जा रहा हो तो शासकीय दंड या कारावास या नौकरी से हाथ धोना पड़ता है.
यदि द्वादशेश का अंश किसी भी राशि में स्थित चतुर्थेश के भुक्तांशो से कम हो तथा गुरु पर किसी उभयोदयी राशि या वक्री ग्रह की दृष्टि हो तो चतुर्थेश में लग्नेश या लग्नेश में चतुर्थेश की अन्तर्दशा में सारी धन सम्पदा नष्ट हो जाती है. और आदमी दरिद्र हो जाता है.
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यदि आसमान में शुक्र एवं मँगल कुम्भ की ऊर्ध्वाधर रेखा से परस्पर विपरीत दिशा में न्यून कोण बनाएँ। तो उस समय को लिख लें. उस समय पर क्षितिज पर क्रांतिवृत्तीय गणना से जो लग्न बन रही हो उस लग्न वाले को जन्म कालीन चन्द्रमा के अंशो के तुल्य दिन से लेकर एक माह के भीतर पुत्र, धन या नौकरी प्राप्त होने का योग बनता है. किन्तु चन्द्रमा का अंश उस लग्न के अंशो से कम हुआ तो चन्द्रमा के तुल्य अंशो के दिन से लेकर एक महीने के अंदर इन तीनो का नाश भी होता है.

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