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हाय रे भगवान राम!!!!!

वेद विज्ञान
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हाय रे भगवान राम!!!!!
एक बार जिसे शरण में ले लिया उसके लिये आप क्या क्या न्यौछावर नहीं कर सकते है?
“तात को सोच न मात को सोच न सोच पिता सुरधाम गये की.
अवध अनाथ को सोच नहीं नहीं सोच हमें बनवास भये की.
सीय हरण कर सोच नहीं नहीं सोच दशानन रार बढे की.
लक्ष्मण शक्ति को सोच नहीं इक सोच विभीषण बाँह गहे की.”
——————किसी भी घटना की चिंता नहीं है. बस इक विभीषण को शरण में लेने की चिंता है. कैसे?
“अंगद नील कपीश सबै सुख आनन्द से अपने घर जइहें।
विश्वामित्र प्रताप बली शिव शम्भु में आपुहि जाइ समईहें।
तुम तो चले सुरधाम सहोदर मैं आपुहि सँग प्राण पठइहें।
“पण्डित” इक सोच रही मन में अब कौन के भवन विभीषण जइहें?”
———सब तो अपने अपने घर चले जायेगें। मेरी शरण में आया विभीषण कहाँ जाएगा?
भाई लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने के बाद प्रभु श्रीराम उनके सिर को गोद में रखे हुए बिलखते हुए कह रहे है.
पण्डित आर के राय

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