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मंगल यंत्र-विज्ञान प्रमाणित

वेद विज्ञान
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=======मंगल यंत्र======

विपुल जी===
आप का प्रश्न सम्भवतः और लोगो के लिये भी लाभ कारी उत्तर वाला होगा इसीलिये मैं इसका स्पष्टीकरण अपने पोस्ट पर कर रहा हूँ.=
सबसे पहले आप अपने जन्म नक्षत्र का वर्गीकरण करें। अर्थात प्रथम 9 नक्षत्रो में है तो प्रथम त्रिपाद, 10वें से लेकर 18वे तक दूसरा त्रिपाद तथा 19वे से 27वे नक्षत्र तक तीसरा त्रिपाद। जैसे यदि जन्म नक्षत्र अनुराधा है तो यह दूसरा त्रिपाद होगा। यह नक्षत्र दूसरे त्रिपाद की आठवी नक्षत्र है. इस प्रकार आठ रत्ती का मंगोलियाई मूँगा लेवें। उसके बाद उसे अनुराधा के निर्धारित रस नागरस में डालें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार भोजपत्र या ताम्रपत्र या रजतपत्र पर अनुराधा नक्षत्र का मन्त्र “ॐ वृहदोद्रेकम्भोजा रदन्ति व्यहोपाय मेदिन्याम ॐ.” या फिर वेदिक मन्त्र “ॐ अग्निमूर्द्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्यां अपां रेतां सि जिन्वति” या तांत्रिक मन्त्र “ॐ अँ अँगारकाय नमः” लिखें। वेदिक या तांत्रिक मन्त्र लिखते समय वेदिक स्वरो के प्रत्यारोपण हेतु वेदाङ्गी पण्डित से संपर्क करना पडेगा। उसके बाद उस पर मूँगे को रखें। दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिने हाथ की कनिष्ठिका (Small) अंगुली को स्पर्श करते हुए उस मूँगे को ढक कर उस पर लिखे मन्त्र का 108 बार पाठ करें। प्रत्येक मन्त्र को पढने के बाद उस मूँगे पर फूँक मारें। उसके बाद उस मूँगे को उठा लें. तथा उस मन्त्र लिखे यन्त्र को शहद एवं कपूर मिश्रित लेप को रुई पर लगाकर उसे जलाकर दिखायें। फिर श्रवणा सफ़ेद, गेरुई हल्दी, कपरपाती एवं चकरौता एक एक माशा मिलाकर घर, दुकान, मकान या जिस जगह लगाना हो वहाँ पश्चिम या दक्षिण की दीवार पर उतनी ही लम्बाई चौड़ाई में लेप लगायें जितना चौड़ा वह पत्र हो. फिर उस पर चिपका दें. मूँगे को अपनी शक्ति के अनुसार सोने चाँदी आदि में मंढ़वाकर दाहिने हाथ की उस अँगुली में पहने जिसमें शँख का निशान हो या फिर तर्जनी ऊँगली में धारण करें।
ध्यान रहे नागरस अमोनियम ट्राईसल्फाइड बोरैक्सोनेट होता है जब कि नागबेल का रस बेरियम हाइड्रोफास्फाइड ट्रेंकोरेट होता है. तथा श्रवणा सफ़ेद लेनोसिन फ्रेक्सोरस मोनोक्लोराइड होता है. बोरैक्सोनेट एवं फ्रेक्सोक्लोराइड वलयचक्र बनाकर मूँगा (बोराइकोनेट कार्बाइड) के चारो तरफ घूमता रहता है जब कि ट्रेनकोर्ट बेरियम फास्फाइड बचाव वाले प्रकाश पुँज के वलय को छिन्न भिन्न कर देता है. इसलिये द्रव पदार्थो को ग्रहण करते समय सावधानी बरतें।
====यह एक अनुभूत तथा प्रामाणिक प्रयोग है===

पण्डित आर के राय

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