भगवान ने केवल रात ही नहीं दी है. बल्कि दिन भी बनाया है. रोग ही नहीं औषधियाँ भी उत्पन्न की है. दुष्ट ही नहीं साधु भी दिये है. बस अपनी बुद्धि, ज्ञान और विचार की कमी को दुर्भाग्य कह कर अन्धा दिन की रोशनी में भी कुछ नहीं देख सकता है. जब कि एक उल्लू रात के अँधेरे में भी देख लेता है. ऊसर और बंजर ही नहीं बल्कि उपजाऊ जमीन भी दी है. एक कक्षा में प्रत्येक छात्र परीक्षा में अनुत्तीर्ण ही नहीं बल्कि प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण भी होता है.
ऐसी बात नहीं है कि कोई भी काम असम्भव है। सिर्फ असम्भव (अस् + भव अर्थात भव में अस्तित्व का स्थाई रहना) ही असम्भव है. भव से अलग का अस्तित्व अर्थात प्रकृष्ट जीव या दूसरे शब्दो में भगवान भी असम्भव नहीं है. यही कारण है कि कहा गया है कि =====
“भगवान भगत के वश में”====
बस भगत बनिये और भगवान को वश में कीजिये।
ऐसे ही अपने दुखो को जानने के लिये विविध तार्किक, ठोस पृष्ठ भूमि पर आधारित, प्रामाणिक एवं प्रकृति के विविध प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप, प्रभाव एवं गुण को प्रस्तुत करने वाले ज्योतिष नाम के महाविज्ञान को ईश्वर द्वारा प्रदत्त करते हुए हमें उनके निवारण हेतु अथर्व (अथ+वः अर्थात हमारा आरम्भ या पुनर्जागरणं या आविर्भाव क्योकि अथ का तातपर्य आरम्भ एवं इति का अर्थ समाप्त होना तथा वः का अर्थ हम होता है) वेद प्रदान किया है. यजुर्वेद एवं आयुर्वेद दिया है.
तार्किक, प्रामाणिक एवं विश्वसनीय तथ्यो को अपनायें। और भ्रामक, जिसका कोई आधार नहीं, प्रमाण नहीं, तर्क नहीं ऐसे तथ्यो को उपेक्षित करें अन्यथा इससे केवल आप का ही नुकसान नहीं होगा बल्कि प्रकृति, ईश्वर एवं वेदिक अस्तित्व का अपमान एवं उत्खनन होगा।
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