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नक्षत्र यंत्र=निर्माण विधि

वेद विज्ञान
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नक्षत्र यंत्र=निर्माण विधि
पहले आप देखें आप को कौन सा यंत्र चाहिये। इसके लिये दोनों विधियाँ काम में लाई जाती है. जैसे यदि कुण्डली में राहु कृत दोष है. और राहु किसी अन्य ग्रह के प्रभाव में नहीं है तो केवल राहु यन्त्र बनवाना पडेगा। किन्तु यदि किसी स्वाभाविक शुभ ग्रह जो स्थिति वश अशुभ हो गया हो उसके प्रभाव में राहु हो तो किञ्जलिका यन्त्र और यदि किसी अशुभ ग्रह के प्रभाव में हो तो विडालक यन्त्र बनवाना पड़ता है.
इस प्रकार सर्व प्रथम जन्म कुण्डली में देखें कि राहु कितने अंशो में है. यदि यह जन्म कालिक चन्द्रमा से ज्यादा अंशो में है तो इसी में से चन्द्रमा के अंशो को घटा देते है. और यदि चन्द्रमा के अंशो से कम है तो उसी में से राहु के अंशो को घटा देते है. राहु यदि लग्न में है तो घटाने के बाद जो संख्या प्राप्त हुई है उसमें 30 और यदि अन्य भावो में हो तो 60 से गुणा कर देते है. और यदि यन्त्र मकान या दुकान या कार्यालय आदि में लगाना हो तो गुणनफल में 9 और यदि अपने पास पाकिट आदि में रखना हो तो 3 से भाग देगें। यदि 9 से भाग दिया है और शेष 0 आया है तो 9 नहीं तो जो शेष आया है उतना अँगुल लम्बा चौड़ा ताम्रपत्र, ताड़पत्र, भोजपत्र या स्वर्णपत्र जैसा सामर्थ्य हो उस प्रकार लें. और यदि अपने पाकिट आदि में रखना हो तो 3 से भाग देने के बाद यदि 0 शेष हो तो 3 अन्यथा जो शेष आया हो उतना लम्बा चौड़ा धातु या भोज पत्र आदि लें.. इस पत्र को यदि आप की राशि मकर या कुम्भ हो तो सहिजन के पत्ते के रस, तुला या वृषभ हो तो वैक्रान्ता के पत्ते के रस, कन्या या मिथुन हो तो लाजवंती के पत्ते के रस, धनु या मीन हो तो केले के पत्ते के रस, मेष या वृश्चिक राशि हो तो मेंहदी के पत्ते के रस. कर्क राशि हो तो गुल्म के पत्ते के रस तथा यदि सिंह राशि हो तो मदार (आक) के पत्ते के रस से किनारे पर पतली लाइन खींच दें. और मध्य में उसी रस से 9 खानो वाला आयत बनाकर उसमें क्रमशः उस अंक से प्रारम्भ कर प्रत्येक अंको को भर दें जिस अंक वाले खाने में राहु बैठा हो. जैसे यदि राहु पाँचवे भाव में हो तो पहले खाने में 5 लिखेगे तथा क्षैतिज रूप में अगले खाने में 6 लिखते हुए क्रमशः अगले अंको को प्रत्येक खानो में भर देगें।
यहाँ यह तथ्य ध्यान में रखना चाहिये कि यदि राहु जिस राशि में बैठा हो उसका स्वामी जिस ग्रह के नवांश में हो, राहु की स्थिति उस नवांश कुण्डली के अनुसार निर्धारित करनी चाहिये। जैसे राहु यदि मेष राशि में है. तथा मेष राशि का स्वामी यदि नवांश कुण्डली में दशवें भाव में है. तो दशमांश कुण्डली में राहु जिस भाव में है जैसे पाँचवें भाव में है तो प्रथम खाने में 5 का अंक लिखेगें। ये जितने अंक है वे सब अष्टगंध, दूर्वा रस, केसर और तूतिया (कापर सल्फेट=CuSo4) के मिश्रण से बने स्याही से लिखना चाहिये। यदि ताम्रपत्र आदि पर लिखना हो तो इन अंको को उकेरना (Engrave) पडेगा। और उसके बाद उसमें उपरोक्त स्याही भरनी पड़ेगी। तथा फिर इसे गँगाजल से धोकर साफ़ करना पडेगा। किन्तु यदि भोजपत्र आदि पर लिखा है तो धोने की आवश्यकता नहीं है. उसके बाद इस यन्त्र को किसी ताम्बे या चांदी के प्लेट या तस्तरी में रख कर लाल कपडे से ढक कर ग्रहों के निर्धारित फूल जैसे राहु के लिये काले फूल (पिपीलिका) को उस कपडे पर रख देते है. उसके बाद गूलर की लकड़ी पर्याप्त लेकर उसमें आग लगाकर ===ॐ उद्बुध्य स्वाग्ने =====मन्त्र से अग्नि प्रज्वलित कर नक्षत्र के मन्त्र जैसे यदि राहु यदि अश्विनी नक्षत्र में हो तो अश्विनी नक्षत्र के मन्त्र====ॐ पर्जन्यं वाथवा ====से 108 बार दशांग औषधि से आहुति दें. जब आहुति समाप्त हो जाय तब उस यंत्र के चारो कोनो पर क्रमशः कालिका, इंद्र, यम और रूद्र को स्थापित==ॐ आपो हिष्ठा======आदि मन्त्र से करने के बाद धुप और दीप आदि विधि पूर्वक उस यंत्र पर से कपड़ा हटाकर दिखाएँ।
इस प्रकार यह यन्त्र बन कर तैयार हो जायेगा।
अब इसे जागृत करने या क्रियाशील (Activated) करने के लिये इस यंत्र की तांत्रिक मन्त्र जैसे राहु के लिये “ॐ राँ राहवे नमः” से इसका मंत्राभिषेक करना पडेगा। अभिषेक के के लिये लवोढा, सैवाल, गोघृत, घुघुची तथा विषबेल के मिश्रण से तरल द्रव तैयार कर लेना चाहिये। अभिषेक करते ही यह क्रियाशील हो जाता है.

इसका विवरण स्पष्ट अस्पष्ट तथा अंशात्मक रूप से विविध प्राचीन ग्रंथो में मिल सकता है जैसे तन्त्रमालिका, खेटाख्यानम, रूद्रयामल संवाद (भट्टोज लाघव कृत), देवी रहस्यम (किञ्चुक ऋषि कृत), वेताल भैरवी (दक्षिणायत) आदि.
पण्डित आर के राय
Email- khojiduniya@gmail.com

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