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रत्न सम्बन्धी चेतावनी

वेद विज्ञान
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=======रत्न सम्बन्धी चेतावनी=====
श्री सहगलजी
=====आप एक पढ़े लिखे समझदार एवं शासन में ऊँचे ओहदे पर कार्यरत है. आप को विक्रोली पुखराज धारण करने से पहले ही इसकी छानबीन कर लेनी चाहिए थी.
आप का गुरु निर्बल अवश्य है किन्तु यह निर्बलता इसके तुला राशि में छठे भाव में मंगल के साथ सूर्य से अस्त हो जाने के कारण है.
बहुत पश्चात्ताप का विषय यह है कि चाहे ग्रह किसी भी तरह निर्बल हो एक ही नग बस ज्ञात है, पहन लिया।
विक्रोली पुखराज (Unideveiled Topaz) जब गुरु नीच का होकर या अकेले अस्त, वक्री आदि होकर निर्बल हो तब धारण करते है. किसी उग्र या पापी ग्रह के साथ निर्बल होने पर सायुजयी पुखराज (Perilulied Topaz) धारण किया जाता है.
विक्रोली पुखराज में मैग्नीशियम थियासल्फाइड होता है. यदि किसी भी तरह शरीर पर पर्वी गामा किरण (डेफरेल्ड गामा किरण) का आवेश हो तो सल्फेसेनामाइड शरीर की रक्त कोशिकाओं एवं ऊतकों को विषाक्त (प्राग्मिनियम डिक्लोरेडेड) बना देता है.
जब कि सायुजई पुखराज प्रॉलीथियम बोरोसल्फाइड होता है. और ऊतकीय तथा चर्म उतस्थि सतह के सारंगीय उपस्थानो को नष्ट कर उसकी सक्रियता को संतुलित करता है.
अभी आप लगभग ४५% से ज्यादा प्रभावित हो चुके है. क्योकि गुरु की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा आधे से ज्यादा व्यतीत हो चुकी है. आप तत्काल शिलाजीत, गोखरू, वायविडंग, निर्गुण्डी मूल, त्रिफला, माजूफल, सहिजन एवं वासंती के छाल को पानी में उबाल कर एक सप्ताह तक स्नान कीजिये। जब यह रोग थम जाता है. तब आप उस विक्रोली पुखराज को तुरंत उतार दीजियेगा। और मैंने अपने पिछले पोस्टो में औषधीय स्नान की सामग्री और स्नान विधि बतायी है उस तरह एक माह तक स्नान कीजिये। आप स्वस्थ हो जायेगें।
अंत में जब आप का रोग जब लगभग 20 दिनों के आस पास में समाप्त हो जाय तो सायुजई पुखराज धारण कर लीजियेगा।

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