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विविध धार्मिक ग्रंथो में वर्णित अनेक यंत्रो को तो मैंने अपनी बुद्धि,ज्ञान एवं उपलब्ध सीमित संसाधनो से परीक्षण के उपरांत उपयोगी पाया हूँ. किन्तु कुछ एक यंत्र ऐसे है जिनके बारे में मुझे कोई सैद्धांतिक ठोस आधार नहीं मिल पाता है. किन्तु फिर भी ये बड़े उपयोगी सिद्ध हुए है. जैसे रोगनिवारक यंत्र=====
इसमें प्रयुक्त सामग्री जटिल रासायनिक उपादानो की सहायता से बनती है. जैसे वृहदाश्व ने विकर्णी (देशी सीसम) के सूखे बीज 27, अरगुंजा (लाल मदार) के पके फूल से उड़ती रुई में से निकाले गए 27 बीज, कष्टहरिणी (कटहल) के पके 27 बीज, 27 गोक्षुराक्षी (गोखरू), 27 पिप्पलाक्षी या पिप्पलयाम (पीला मढौरा), 27 गोवर्णिका एवं 27 पीतसपर्णिका लेकर इकट्ठा कूट पीस लें. तथा उसे 27 पुड़िया में रख लें. पुड़िया बनाने के लिये पीले भोजपत्र का प्रयोग करें। यदि भोजपत्र की पुड़िया बनाने में कठिनाई हो तो सैवालिक या गरतारा का प्रयोग किया जा सकता है. किन्तु यदि राशि का स्वामी मंगल, शुक्र, या शनि हो तो सैवालिक या गरतारा का प्रयोग न करें।
=======अपने नक्षत्र के भुक्तांशो के अनुपात में उतने ही माप का पारद शिवलिंग बनवा लें. जैसे यदि किसी का जन्म प्रथम 9 नक्षत्र में हो तो जिस चरण में जन्म हो उतने अंगुल ऊंचाई का, यदि दूसरे 9 नक्षत्रो में हो तो भुक्तांशो में 5 का भाग दें और जो शेष आये उतने अँगुल ऊँचाई का (शून्य शेष होने पर 5 अँगुल मानें), और यदि अन्तिम 9 नक्षत्रो में जन्म हो तो 4 अँगुल ऊँचाई का शिवलिंग बनवायें। ध्यान रहे शिवलिङ्ग निर्माण में पाण्डु रस (मैगनीज) का प्रयोग न हो पाये। बहुधा इसका व्यवसाय करने वाले अपनी सुविधा को ध्यान में रखते हुए तथा कम पैसा खर्च करने के लोभ में पाण्डुरस मिला देते है.
;;;;;;;;;;;;;;;;उस शिवलिङ्ग पर शनिवार से शुरू करके प्रतिदिन एक एक पुड़िया चूर्ण शहद में मिलाकर शिवलिङ्ग पर चढ़ाये। और फिर मन्त्र पाठ के बाद उस शिवलिंग को भलीभाँति धोकर साफ़ स्थान पर रख दें. मन्त्र निम्न प्रकार है——-
___ॐ लं चं ह्रां भ्रां घृणवन्तु व्याधिमपाम कुरु कुरु त्रोटय त्रोटय भ्रां ह्रां चं लं ॐ.”
===यह मन्त्र चूर्ण चढाने के बाद 58 बार पढ़ें। अधिक भी पढ़ा जा सकता है किन्तु कम नहीं।
यह एक सफल प्रयोग माना जाता है. जटिल रोगो के निवारण में इसका प्रयोग होता है.
=====यद्यपि मैंने इसका ठोस कारण नहीं ढूँढा है कि आखिर इसके पीछे अर्थात इसके चमत्कारिक होने का क्या कारण है. किन्तु इसका चमत्कारिक देखने को मिला है.
=====किन्तु इसके पीछे कुछ प्रतिबन्ध भी है. जैसे इस यंत्र का निर्माण या धारण धनिष्ठा पञ्चक या तीनो मूल नक्षत्रो में जन्म प्राप्त व्यक्ति को नहीं करना चाहिये।
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