एक मेरे फेसबुक फ्रेंड हैं. उनकी कुण्डली बनानी है. उन्होंने जो जन्म का विवरण दिया है उसके अनुसार उनका जन्म 22 मार्च 1980 को प्रातः 7 बजे हुआ है. जन्म स्थान उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला है. गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए उनका नाम यहाँ पर नहीं लिख सकता। वैसे मेरे यह मित्र भी इस पोस्ट को अवश्य पढ़ेगें। हो सकता है, अपना कॉमेंट भी दें.
अस्तु, जो भी हो,
===उपर्युक्त विवरण को कुण्डली में डालते ही मीन लग्न का अंतिम चरण अंतिम अंशो में आएगा। किसी किसी सॉफ्टवेयर में मेष लग्न भी आ सकता है. यह तो हुई सामान्य गलती जो कम्प्यूटर से आशा भी की जाती है.
भयंकर गलती जो कम्प्युटर यहाँ किया है (या इसमें डाटा भरने वाले ज्योतिषाचार्य ने किया है) वह यह है कि शुक्र के नवांश में स्थित मंगल बुध से दृष्ट होते हुए भी वक्री बताया गया है जब कि सूर्य के साथ कोई भी ग्रह नहीं है तथा मंगल भी उसी पृष्ठ पर है जिस पर सूर्य है.
ऐसी कुंडली से किसी एक भी भविष्यवाणी की सच्चाई की क्या आशा की जा सकती है?
भूगोल, खगोल, ज्योतिष एवं गणित का यह स्पष्ट गणना है कि यदि सूर्य के सान्निध्य में सदा ही रहने वाले दोनों ग्रह – शुक्र एवं बुध, यदि अलग अलग उसके आगे पीछे हों तथा मंगल इनमें से किसी के नवांश – शुक्र या बुध, में हो तो मंगल कदापि वक्रगत्या हो ही नहीं सकता। क्योकि मंगल की मध्यमा गति शुक्र-बुध की गति की त्रिराशि अनुपाती होती है. ऐसी स्थिति में मंगल ऐसी अवस्था में भी आलोकित ही रहता है. फिर वक्री कहने का क्या आधार?
यह है कम्प्युटर कुंडली और उसकी भविष्यवाणी।
और आज के उच्च शिक्षा प्राप्त, कम्प्यूटर को मन-कर्म एवं वचन से सर्वस्व समर्पित किये तथा कथित उत्कृष्ट सामाजिक जीवन यापन करने वाले, पंडितो को ठग एवं लुटेरा कहने वाले सभ्य सज्जन महानुभाव इसे अटल सत्य मान कर चल रहे है.
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