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मधुमेह की आयुर्वेदिक औषधि

वेद विज्ञान
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रक्तचाप एवं मधुमेह की औषधि===
मुसैला चूर्ण 1 तोला
गर्भमुंडी का रस 1 तोला
अरणी स्याह 1 तोला
धरुसा एवं निहोर एक एक तोला
हिंगुलोत्थ भस्म एक तोला
20 किलो अर्जुन की छाल, 10 किलो सिहोर की छाल एवं 5 किलो शहतूत की छाल लगातार एक सप्ताह तक परस्पर मिलाकर 40 किलो पानी में बड़े ताम्बे के बर्तन में तब तक हलकी आँच पर पकायें जब तक पानी सूख न जाय. इसे उतारकर ठण्डा करें। तथा इसे अच्छी तरह निचोड़ें। लगभग एक पाव रस निकल आयेगा।
इस रस में ऊपर कथित चूर्ण आदि औषधियों को मिलाकर खूब घोंटें। उसके बाद उसकी 2-2 रत्ती की गोलियाँ बना लें.
रक्तचाप में-
उपर्युक्त 60 गोलियों में ===
वज्रभस्म, कार्णव भस्म, तार्क्ष्य भस्म, स्वर्ण भस्म, प्रवाल भस्म तथा नीरद भस्म आधा आधा तोला मिलाकर अच्छी तरह खरल आदि में पीस लें. तथा 2-२ रत्ती प्रतिदिन भोजनोपरान्त लें
===बच्चे इसका सेवन न करें।
मधुमेह की अवस्था में—-
अरण्डी के एक किलो तेल में उपर्युक्त 60 गोलियाँ पीस कर मिला लें. उसे हल्का भाप निकलने तक गर्म करें।
करेला, गुड़मार, जामुन तथा काली नीम के बीज आधे आधे तोला इसमें मिलाएं। उसके बाद उसमें यशद भस्म एक तोला, माणिक्यभस्म आधा तोला एवं निरुद्ध गूगल एक तोला मिलाकर अच्छी तरह कूट पीस कर मिला लें.
भोजनोपरान्त एक एक रत्ती लें.
—-यह एक सामान्य औषधि है जिसे मधुमेह के निर्मूलन में प्रयुक्त किया जा सकता है. किन्तु स्थिति विशेष में इसमें कुछ उपादानो को और मिलाने या इनमें से किसी को निकालना भी पड़ता है. अतः ऐसी अवस्था में पहले विवरण के साथ किसी आयुर्वेदाचार्य से संपर्क कर लें. जैसे यदि मधुमेह की तृतीय अवस्था प्रारम्भ होने पर इसमें से यशद भस्म निकालना पडेगा तथा महुवा के बीज की मींगी मिलानी पड़ेगी.
यद्यपि इसका वर्णन योग रत्नाकर की प्राचीन पाण्डुलिपि में उपलब्ध है. किन्तु भिषगाचार्य एवं दैवज्ञ महानुभाव इसका अर्थ अपनी सुविधा के अनुसार लगाकर अशुद्ध औषधियों का प्रयोग करते है जो निष्फल होती जा रही है. यहाँ तक कि इस पाण्डुलिपि का अपनी सुविधा के अनुसार तोड़मरोड़ कर प्रकाशित भी कर दिया गया है.
पण्डित आर के राय
Email- khojiduniya@gmail.com

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