पेट में अचानक किसी भी तरह का दर्द एका एक उठे. आप बिलकुल घबरा जाएँ. पीड़ा बर्दास्त के बाहर हो जाय.
तो आप यह क्रिया करें–
तत्काल सुखासन मुद्रा में बैठ जायँ. दाहिने हाथ से बायें तथा बायें हाथ से दाहिने पैर के अंगूठे के नीड़ तथा वासन क्षुद्र वाहिकाओं को जोर से दबायें. पकड़ भी मजबूत होनी चाहिये.
पकडे पकडे आप पीछे की तरफ लुढ़क जावें. पकड़ छूटनी नहीं चाहिये. पुनः धीरे धीरे पकडे हुए ही उठने का प्रयत्न करें. यद्यपि बिना अभ्यास किया हुआ व्यक्ति नहीं उठ पायेगा. किन्तु कोशिश करें.
यदि पकडे हुए ही उठ जावें तो कोई बात नहीं है. नहीं भी उठ पाते हौं तो छोड़कर उठ जावें. और दुबारा यह क्रिया करें. इस प्रकार पाँच बार करें.
आप स्वयं देखें,
पेट का दर्द जादू की तरह मिट जायेगा.
नीड़ तथा वासन वाहिकायें-
अंगूठे में जहाँ से नाखून निकलता है ठीक उसी के सीध में नीचे तलवे की तरफ कुछ रेखायें बनी होती हैं. उन रेखाओं से ऊपर की तरफ अंगूठा मेढक के जबड़े की तरह थोड़ा मोटा दिखाई देता है. वाही नीचे वाला भाग वासन वाहिकाओं वाला होता है. तथा अंगूठे के ऊपर जहां से नाखून निकलता है वह नीड़ कहलाता है.
ध्यान रहे—अंगूठे से नीड़ तथा मध्यमा अंगुली से वासन पकड़ना चाहीये.
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