यदि यकृत (Liver) का Pluma Sorolae अपनी दोनों Mesecheliz को बंद कर चुका हो
यदि अग्न्याशय (Pancreas) की सर्गवाहिनी (Saedestrilik Duct) स्थाई रूप से संग्रहणी (Duodenum) से चिपक गयी हो
यदि Lebenochritedin निर्माण पूर्णतया बंद हो चुका हो
यदि उपर्युक्त चारों में से कोई एक भी स्थाई हो चुका हो तो मधुमेह अर्थात डायाबीटीज को जड़ से समाप्त करने की क्षमता किसी भी औषधि में नहीं है. इसकी शल्य चिकित्सा भी नहीं हो सकती. आयुर्वेद भी इन अवस्थाओं में (प्रतिनैवेद्यमरण्यात तदस्तम्भितम शर्करा.) इसके निरोध की ही व्यवस्था करता है निर्मूलन की नहीं.
गठिया-
यदि शरीर के किसी भी अंग की Tibio Hemildetron नामक नस अर्थात वाहिनी दोनों रक्तो का (Biovetrosiol Haemenia) के आवागमन का मार्ग बन जाती है.
यदि Homoselt या Trostrend दोनों ही वितानक (Haedrolopas) से छन्नित पदार्थ (Filtered Zensithomol) को Tartora Termina तक नहीं पहुंचाते हैं.
यदि तान्तविक परिवाहिकायें (Metahaemadritica) अस्थिगत कुन्डाल्कों (Arithrosponidlos) के कारण शिथिल हो गयी हों तो इस व्याधि का निर्मूलन नहीं हो सकता. यहाँ तक कि इसकी शल्य चिकित्सा भी नहीं हो सकती.
—मेरा अपना जहाँ तक प्रश्न है, इन व्याधियों की द्वितीयक अवस्था तक अर्थात सेकंड स्टेज तक की औषधि या अनुष्ठान्न बता सकता हूँ या बना सकता हूँ. इससे आगे की कोई संभावना नहीं है. अतः कोई भी सज्जन कृपया इस सम्बन्ध में मुझसे संपर्क करने से पहले अपनी स्थिति से भली भांति आश्वस्त हो लें.
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